Friday, December 26, 2014

KAAL VIBHAJN/काल विभाजन

समय की निशिचत आधार होता है । सयम का आधार सूर्य ही है यह समय ही सूर्य के वश चक्रवत परिवतिर्त होता है । मनुष्य के सुख-दुःख, और जीवन -मरण काल पर आधरित होता है और उसी में लीन हो जाता है । भच्रक में भ्रमण करते हुए सूर्य के एक च्रक को एक वर्ष की संज्ञा दी जाती है । समय का विभाजन धण्टे,मिनट और सेंकिड है ज्योतिष विज्ञानं के रूप अहोरात्र,दिन,घड़ी,पल,विपल आदि है ।   हिन्दुओं में समय का बटवारा एक विशेष प्रणाली से होता है । यह ततपर से आरम्भ और कल्प पर समाप्त होता है । एक कल्प 4,32,0 000,000 सम्पात वर्षों के बराबर होता है । हिन्दुओं में एक दिन सूर्य उदय से अगले सूर्य उदय पर समाप्त होता है । 
                   पलक छपकना - 1 निमेष
    ३ निमेष        - १ क्षण
--   ५ क्षण          - १ काष्ठा
    १५ काष्ठा     -   १ लधु
    १५ लधु        -  १ घटी (24 मिनट )
    २ -१/२ घटी     -  १ घंटा
  
 ६० घटी        - २४ घण्टे 
  २ घटी = १ मुहूर्त   
 ३० मुहूर्त = 1 दिन-रात यानि अहोरात   
 १  याम =  एक दिन का चौथा हिस्सा ( 1 प्रहर ) 
   8 प्रहर  = 1 दिन -रात    
 7 दिन -रात  = 1 सप्ताह    
 4 सप्ताह   = 1 महीना    
 12  मास =  1 वर्ष  (365 -366 दिनो)
 ण्टो- मिनटों को हिन्दुओ धर्मशास्त्र के अनुसार पलों में परिवर्तन करना और उन नियम अनुसार देखना :-
   1 मिनट - 2 -1/2 पल
   4 मिनट - 10 पल
   12 मिनट- 30  पळ
   24
मिनट1 घटी
   60 मिनट - 60  घटी यानि 1 घण्टा
   
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय :-
    60 विकला = 1 कला
    60  कला  = 1 अंश
    30  अंश  =  1 राशि
    12  राशि  =  मगण
    सूर्योदय से सूर्यास्त तक = एक दिन या दिनमान     सूर्यास्त अगले दिन सूर्योदय = रात्रिमान      उषाकाल                = सूर्याद्य से 8 घटी पहले
       प्रात:काल               =  सूर्यादय से 3 घटी तक
--       संध्याकाल                   =सूर्यास्त से 3 घटी तक






  
  

 





इसका विवरण निम्नलिखित है :-
सतयुग - 17,28,000 सम्पात वर्ष (प्रथम युग )
त्रेता युग - 12,96,000
सम्पात वर्ष
तीसरा युग -8,64,000 सम्पात वर्ष
कलियुग -  4,32,000 सम्पात वर्ष
महायुग  - 43,20,000 सम्पात वर्ष(चारो युग जोड़ )
 

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