समय की निशिचत आधार होता है । सयम का आधार सूर्य ही है । यह समय ही सूर्य के वश चक्रवत परिवतिर्त होता है । मनुष्य के सुख-दुःख, और जीवन -मरण काल पर आधरित होता है और उसी में लीन हो जाता है । भच्रक में भ्रमण करते हुए सूर्य के एक च्रक को एक वर्ष की संज्ञा दी जाती है । समय का विभाजन धण्टे,मिनट और सेंकिड है ज्योतिष विज्ञानं के रूप अहोरात्र,दिन,घड़ी,पल,विपल आदि है । हिन्दुओं में समय का बटवारा एक विशेष प्रणाली से होता है । यह ततपर से आरम्भ और कल्प पर समाप्त होता है । एक कल्प 4,32,0 000,000 सम्पात वर्षों के बराबर होता है । हिन्दुओं में एक दिन सूर्य उदय से अगले सूर्य उदय पर समाप्त होता है ।
१ पलक छपकना - 1 निमेष
    ३ निमेष        - १ क्षण 
--   ५ क्षण          - १ काष्ठा 
    १५ काष्ठा     -   १ लधु 
    १५ लधु        -  १ घटी (24 मिनट )
    २ -१/२ घटी     -  १ घंटा 
  ६० घटी - २४ घण्टे
२ घटी = १ मुहूर्त
३० मुहूर्त = 1 दिन-रात यानि अहोरात
१ याम = एक दिन का चौथा हिस्सा ( 1 प्रहर )
8 प्रहर = 1 दिन -रात
7 दिन -रात = 1 सप्ताह
4 सप्ताह = 1 महीना
12 मास = 1 वर्ष (365 -366 दिनो)
ण्टो- मिनटों को हिन्दुओ धर्मशास्त्र के अनुसार पलों में परिवर्तन करना और उन नियम अनुसार देखना :-
   1 मिनट - 2 -1/2 पल 
   4 मिनट - 10 पल 
   12 मिनट- 30  पळ 
24 मिनट - 1 घटी
24 मिनट - 1 घटी
   60 मिनट  - 60  घटी यानि 1 घण्टा 
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार समय :-
    60 विकला = 1 कला 
       प्रात:काल               =  सूर्यादय से 3 घटी तक 
--       संध्याकाल                    =सूर्यास्त से 3 घटी तक 
इसका विवरण निम्नलिखित है :-
सतयुग - 17,28,000 सम्पात वर्ष (प्रथम युग )
त्रेता युग - 12,96,000 सम्पात वर्ष
त्रेता युग - 12,96,000 सम्पात वर्ष
तीसरा युग -8,64,000 सम्पात वर्ष
कलियुग -  4,32,000 सम्पात वर्ष
महायुग  - 43,20,000 सम्पात वर्ष(चारो युग जोड़ )
   
No comments:
Post a Comment