Sunday, February 1, 2015

तिथियाँ

तिथियाँ :- चन्द्रमा की एक कला तिथि कहते है और तिथि का मान चन्द्रमा की गति पर आधारित हैं । तिथियाँ कुल होती है 15 कृष्ण पक्ष और 15 शुक्ल पक्ष की  सूर्य और चन्द्रमा का अन्तर 12 अंश है इसी अन्तर को तिथि कहते है चन्द्रमा की गति अधिक तेज है प्रत्येक अन्तर 12 डिग्री का होता है 15 दिनों अन्तर 180 डिग्री हो जाता है (15 x 12 =180 अंश ) प्रतिप्रदा से पूर्णमासी इसे शुक्ल पक्ष कहते है जिस समय पूर्णमासी पूर्ण होती है
वही से कृष्ण पक्ष का आरम्भ हो जाता है ।
1 प्रतिप्रदा-      0 से -12 डिग्री (अंश ) तक    सूर्य से चन्द्र की दूरी   शुक्ल पक्ष

2 द्धितीया       12 अंश से -24  डिग्री (अंश ) तक      -"                "-
              
3. तृतीया        24अंश से - 36  डिग्री (अंश ) तक        -"              -"
4. चतुर्थी        36 अंश से - 48 डिग्री (अंश ) तक        "              -"-
5. पंचमी        48 अंश से - 60  डिग्री (अंश ) तक         "               " 
6. षष्ठी         60 अंश से - 72  डिग्री (अंश ) तक         "               "
7. सप्तमी       72 अंश से -  84  डिग्री (अंश ) तक         "               "
8. अष्टमी       84 अंश से -  96 डिग्री (अंश ) तक         "               ".  
9. नवमी        96 अंश से -  108  डिग्री (अंश ) तक      "               "
10. दशमी      108 अंश से - 120 डिग्री (अंश ) तक        "               "
11. एकादशी    120 अंश से - 132 डिग्री (अंश ) तक         "               "
12. द्वादशी     132अंश से - 144 डिग्री (अंश ) तक         "                "
13. त्र्योदशी     144 अंश से - 156 डिग्री (अंश ) तक         "               "
14. चतुदर्शी     152 अंश से -168  डिग्री (अंश ) तक         "               "
15. पूर्णिमा      168 अंश से - 180 डिग्री (अंश ) तक         
   
    1. नन्दा तिथियां :- 1, 6, 11 नन्दा तिथियां कहलाती हैं। इन तिथियों में गीत, वाद्य,नृत्य, कृषि, उत्सव, घर गृहस्थी सम्बंधित कार्य, वस्त्र बुनना, पहनना आदि के कार्य की जाते हैं।
   2.भद्रा तिथियां :- 2,7,12 तिथियों को भद्रा तिथि कहते है।इन तिथियों में शुभकृत्य वर्जित होते हैं।
   3. जया तिथियां :- 3,8,13 तिथियों जया संज्ञक हैं।सैन्य शक्ति संगठन, सैनिक शिक्षा, शस्त्र निर्माण, युद्ध अभ्यास, यात्रा, उत्सव, गृहनिर्माण व गृहप्रवेश, व्यापार एवं प्रशस्त रहते है।

  भद्रा तिथि और उसके दोष का विचार :-


  कोई शुभ कार्य भद्रा तिथि में नही किया जाता है।भद्रा तिथि के दोष में भारी कष्ट प्रद ,हानि कारक व विनाशकारी माना जाता है।  भद्रा तिथि के दोष परिहार की किया जाता है। 1  भद्रा का वास स्वर्ग या पाताल में हो।   2. यदि प्रतिकूल काल वाली भद्रा हो।  3. दिनार्थ के  अन्तर वाली भद्रा हो।   4. भद्रा का पुच्छल काल हो।      स्वर्ग या पाताल में भद्रा हो -  यदि भद्रा के समय चन्द्र मेष, वृषभ, मिथुन, व वृश्चिक राशियों में हो ,तो भद्रा का वास स्वर्ग लोक में माना जाता है। यदि भद्रा के समय चन्द्रमा कन्या, तुला, धनु एवं मकर राशियों पर हो तो भद्रा का वास पाताल लोक में कहा गया हैं। 3. यदि भद्रा के समय चन्द्रमा कर्क,सिंह ,कुम्भ व मीन राशियो में हो तो उस समय भद्रा का वास भूमि पर माना जाता है। "

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