Saturday, March 28, 2020

ज्योतिष शास्त्र नक्षत्र और दिशा



                         
                        ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नक्षत्र के द्वारा  दिशा को किस प्रकार देखा जा सकता है।


  1.       अश्विनी नक्षत्र :-       अश्विनी नक्षत्र की मुख्य दिशाएँ केंद्र ब्रह्म स्थान होने से पूर्व है। लेकिन उत्तर दिशा                                                मानी गई हैं। अश्विनी के स्वामी केतु है|

                                                                             
                                                        




 2. भरणी नक्षत्र     :-अश्विनी मास का उत्तरार्ध भरणी नक्षत्र का भाग माना जाता है।यह प्राय: अक्टूबर उदय होता है।


  3 कृत्तिका नक्षत्र  :-         भचक्र के नक्षत्र मंडल में पूर्व से दक्षिण की ओर बढ़ते हुए है।इस नक्षत्र के         स्वामी सूर्य हैं।   इसका पहला चरण मंगल की राशि मे पड़ता हैं। बाकि के तीन चरण वृषभ राशि मे आती है।उसके राशि स्वामी शुक्र ग्रह है | 


4. रोहिणी     नक्षत्र :-  रोहिणी नक्षत्र के स्वामी चन्द्रमा हैं और राशीश शुक्र ग्रह हैं।

        मृगशिरा नक्षत्र :-
                                दक्षिण-पश्चिम तथा उत्तर-पश्चिम के मध्य का भाग मृगशिरा नक्षत्र की दिशा माना जाता हैं।

आर्द्रा नक्षत्र:-  
                                     दक्षिण-पश्चिम या नैऋत्य कोण के साथ पश्चिम-उत्तर मनान्तर से वायव्य कोण को आर्द्रा नक्षत्र की दिशा माना जाता है। आर्द्रा नक्षत्र के स्वामी राहु हैं।

पुनर्वसु नक्षत्र :-
                                पश्चिम, उत्तर तथा उत्तर-पूर्व में बने चाप की पुनर्वसु की दिशा को माना जाता हैं। इसके स्वामी गुरु ग्रह हैं।

पुष्प नक्षत्र :-
                                पुष्प नक्षत्र के स्वामी शनि और राशीश-पति है, चन्द्रमा हैं।पश्चिम,उत्तर दिशा है क्योंकि की कर्क राशि की दिशा उत्तर तो नक्षत्रपति शनि को पश्चिम दिशा का स्वामी माना जाता है।


अश्लेषा नक्षत्र :-
                                   उत्तर-पश्चिम से उत्तर दिशा तक कि चाप को अश्लेषा की दिशा माना जाता है।                                         नेऋत्यकोण में इस नक्षत्र को बली माना जाता है। कुछ ज्योतिष विद्वान दक्षिण-पश्चिम को अश्लेषा के लिए शुभ व कल्याणकारी मानते हैं।नक्षत्र के स्वामी बुध ग्रह हैं।

मघा नक्षत्र :-
 मघा नक्षत्र के स्वामी केतु ग्रह हैं।राक्षसगण का नक्षत्र माना जाता हैं।मघा नक्षत्र का संम्बंध पूर्व,दक्षिण,उत्तर-पश्चिम एवं दक्षिण-पश्चिम दिशा के साथ माना गया हैं।

पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र :-
                                        पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी शुक्र ग्रह है। दक्षिण-पूर्व व पूर्व को जोड़ने वाली चाप को पूर्वा-फाल्गुनी नक्षत्र की दिशा माना जाता हैं।

उत्तरा फाल्गुनी :-
 उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के स्वामी सूर्य ग्रह है। पूर्व एवं दक्षिण दिशा को उत्तराफाल्गुनी की दिशा माना जाता है।

हस्त नक्षत्र:-
 हस्त नक्षत्र के स्वामी के चन्द्रमा हैं। दक्षिण, दक्षिणपूर्व दिशा आग्नेय कोण है ।

चित्रा नक्षत्र:-
 चित्रा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह है। दक्षिण दिशा हैं।लेकिन कुछ विद्वान नैऋत्य कोण को चित्रा नक्षत्र की दिशा मानते हैं।

स्वाति नक्षत्र :-
 स्वाति नक्षत्र के स्वामी राहु ग्रह है। स्वाति नक्षत्र दक्षिण दिशा में अधिक प्रभावशाली माना जाता है। आग्नेय कोण और नैऋत्य में चित्रा नक्षत्र की चाप को स्वाति नक्षत्र की दिशा स्वीकार करते है।

विशाखा नक्षत्र:-
 विशाखा नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति हैं। दक्षिण दिशा हैं।

अनुराधा नक्षत्र :- 
अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनि ग्रह हैं। अनुराधा नक्षत्र की दिशा नैऋत्य कोण माना जाता है।

ज्येष्ठा नक्षत्र :- 
ज्येष्ठा नक्षत्र के स्वामी बुध ग्रह है।नैऋत्य कोण है।उत्तरदिशा में ज्यादा प्रभावशाली देखा गया हैं।

मूल नक्षत्र :- 
मूल नक्षत्र के स्वामी केतु हैं। नैऋत्य कोण इसकी दिशा माना जाता है। राक्षस गण का नक्षत्र हैं।O

पूर्वाषाढ़ नक्षत्र :-
 पूर्वाषाढ़ नक्षत्र के स्वामी शुक्र ग्रह हैं। पूर्वाषाढ़ नक्षत्र की ईशानकोण हैं। कुछ विद्वान दक्षिण-पश्चिम व पश्चिम दिशा वाली चाप को पूर्वाषाढ़ा की दिशा स्वीकार करते हैं।

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र
 :- उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी सूर्य है। पश्चिम दिशा को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की दिशा माना जाता है।

अभिजित नक्षत्र
 :- अभिजित नक्षत्र के स्वामी सूर्य हैं। अभिजित नक्षत्र की पश्चिम दिशा हैं। कुछ विद्वान पश्चिम-उत्तर दिशा से बने चाप को अभिजित नक्षत्र की दिशा मानते है।


श्रवण नक्षत्र:
- श्रवण नक्षत्र के स्वामी चन्द्रमा हैं।  दक्षिण व उत्तर-पश्चिम को श्रवण नक्षत्र की दिशा मानते हैं।


धनिष्ठा नक्षत्र :
- धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह हैं। वायव्य कोण को धनिष्ठा नक्षत्र की दिशा माना जाता हैं।

शतभिषा नक्षत्र 
:- शतभिषा नक्षत्र के स्वामी राहु ग्रह है।राक्षस वर्ण का नक्षत्र हैं।शतभिषा नक्षत्र की दिशा वायव्य कोण को माना जाता है।


पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र :-
 पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी बृहस्पति हैं। दक्षिण-पूर्व से पश्चिम दिशा को जोड़कर बनी दिशाचाप को पूर्वाभद्रापद नक्षत्र की दिशा माना जाता हैं।


उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
 :- उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के स्वामी शनि ग्रह हैं। वायव्य कोण को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र की दिशा माना जाता है।


रेवती नक्षत्र :-
 रेवती नक्षत्र के स्वामी बुध ग्रह हैं । ईशान कोण को रेवती नक्षत्र की दिशा माना जाता है।

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