Monday, May 19, 2025

22 जून 2025 विक्रम संवत (2082) सूर्य का आर्द्रा प्रवेश कुण्डली

                               



                       विक्रम संवत( 2082 ) में 22 जून 2025 ई.भारतीय मानक समय 6:18 मिनट पर सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में गोचर करेंगे l मिथुन लग्न की कुण्डली में सूर्य, बृहस्पति और बुध मिथुन राशि में स्थित हैं और शनि देव मीन राशि में स्थित हैं और शनि की दृष्टि उत्तर दिशा में रहेगी l 12 जुलाई 2025 को शनि वक्री गति से चले आ रहे हैं और 28 नवम्बर 2025 ( 133 दिनों) तक रहेगा और 11 नवम्बर 2025 से बृहस्पति देव वक्री होने वाले 10 नवम्बर 2025 तक रहेंगे l 5 नवम्बर 2025 को मंगल अस्त होने वाले हैं और 25 मार्च 2026तक अस्त रहेंगे l शनि देव उत्तरी भूभाग में प्रान्तों में प्रभावित करेंगे l

              शनि देव मीन राशि में स्थित हैं और पर्वतीय क्षेत्रों में पर्वतों पर दरारें         पड़ने, अत्यधिक निर्माण करने से पर्यावरण की अपेक्षा होने से जलवायु           परिवर्तन को प्रभावित करता हैं l  पुल बन जाने से जन जीवन में अस्त वस्त     हो जाता हैं l प्राकृति से शुद्ध वायु आने से रुकावट आ जाती हैं l पर्वतीय        क्षेत्रों में टनल से पहाड़ में दरार आ सकती हैं l प्राकृतिक प्रकोप अत्यधिक      वर्षा,भूकम्प और भूखल, चट्टानों का खिसकना, हिमपात, भयंकर रोग होने   की संभावना और विपरीत परिस्थितियों बनेगी और आपदाओं से का सामना    करना पड़ेगा l जब सूर्य आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं और ग्रहों स्थितियां        आकाश मण्डल में दर्शाती हैं कि इन्द्र देव आने वाले समय हो गया है l वर्षा     ऋतु आने वाली हैं और वायुमंडल में तेज हवाओं, आंधी, तूफान, चक्रवात,    समुद्री तूफान, बाढ़ से आने वाली है और प्राकृतिक आपदाओं से परेशानी      हो वाली हैं l  हिन्दू धर्म शास्त्रों में चतुर्मास का आरम्भ हो जाता हैं l इस वर्ष    विक्रमी संवत 2082 में सूर्य को राजा और मंत्री बनाया गया है और यह बात    की संकेत देता हैं कि प्रकृति में दोनों ही विचित्र दर्शाता हैं कि  कई राज्यों में    सूर्य अत्याधिक वर्षा होने वाली है और कई राज्यों में सूखा पड़ सकता हैं l      जल स्तम्भ इस बात को दर्शाता है कि 85 प्रतिशत वर्षा होने से जनजीवन        को अस्त व्यस्त होने का संकेत देता है और फसलों को नष्ट कर देगा l

    आर्द्रा का अर्थ है नमी, जो भीषण गर्मी के बाद, नमी के कारण बादल बरसने का समय, आर्द्रा नक्षत्र में सूर्य प्रवेश     से आरम्भ होता हैं l सूर्य का इस नक्षत्र पर गोचर ग्रीष्म ऋतु की अंत होता हैं और वर्षा ऋतु का आगमन को          दर्शाता हैं l वर्षा ऋतु का आगमन होता हैं चारों ओर हरियाली, खेतों में भरपूर फसल और चारों तरफ खुशहाली l   विद्वानों के मतानुसार आर्द्रा नक्षत्र को मनुष्य के सिर कहते हैं l भगवान श्री रुद्र देव संहारकर्ता शिव जी को    अधिपति   देवता माना जाता हैं l जो असुरों के संहार करता है और अप्रिय घटनाओं और अनिष्टप्रद का नाश,   अव्यवस्था, उत्पात, मतिभ्रम, आतंक और अराजकता की समाप्ति ही रुद्र देव का मुख्य कार्य है l आर्द्रा नक्षत्र के   स्वामी राहु देव है l 

      मेष राशि में शुक्र और चंद्रमा स्थित हैं l मिथुन राशि में सूर्य, बुध और       बृहस्पति स्थित हैं l सिंह राशि में मंगल और केतु विराजमान हैं l राहु कुम्भ   राशि में स्थित हैं l मीन राशि में शनि स्थित हैं l मंगल और राहु समसप्तक   योग बना रहे हैं l शनि अपनी दृष्टि से धनु राशि में सप्तम भाव पर है l शनि   और मंगल षडष्टक योग बना रहे हैं l सूर्य और शनि की स्थिति देश में कुछ     राज्यों में पेयजल और दुर्भिक्ष विकट स्थिति उत्पन्न हो सकती हैं l समय से   पहले वर्षा ऋतु आना होना है और फसलों को हानि को दर्शाता हैं l शनि देव   की दृष्टि उत्तर दिशा में प्राकृतिक प्रकोप को दर्शाता हैं l जैसे कि आपदा       प्रभावित, युद्ध होने की प्रबल संभावना है l विश्व में समुद्री तूफान,     विनाशकारी घटनाओं को देखने को मिलेगी l  गुजरात, उत्तरांचल,   उत्तराखंड, उड़ीसा, जम्मू कश्मीर, बिहार, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, मिजोरम,   महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश में भूखालन, चट्टानों के खिसकने, इमारतों का   गिरना, पुल ढाह जाना और जनजीवन को हिला कर रख देगा l चीन और   अमेरिका को ग्लोबल वार्मिंग देश और विदेशों में गंभीर रूप से भूकंपों और   सुनामी आने वाली हैं l यह सब आकाशीय ग्रहों स्थितियां को दर्शाता रहा हैं l

     दोनों नेत्रों और मस्तक के आगे और पीछे वाले भाग में आर्द्रा के अवयव     कहलाते हैं l किसी भी विषय को समझ कर उसका विश्लेषण करना   आर्द्रा  का स्वभाव है और मस्तिष्क रोग चिकित्सक भी मानते हैं कि मनुष्य     देह के सभी अंगों को संचालन और नियंत्रण करने की कार्यप्रणाली हैं आर्द्रा    नक्षत्र  वात रोग से होता हैं l राहु वायु प्रधान स्वामी हैं l  धरती के वे सभी       स्थानों जहां आंधी, तूफान, बिजली कड़कती, अनुसन्धान प्रयोगशाला, उच्च      प्रोद्योगिकी के कार्य क्षेत्र, अस्पताल, रडार उपकरण, टेलीविजन       का स्टूडियो ,  विषैले रसायन का प्रयोग स्थान पर, सैनिकों अड्डे और   छावनी,  एस्केलेटर चलती सीढ़ियों, बिजली नियंत्रण का सीधा सम्बन्ध आर्द्रा    नक्षत्र से जुड़े हैं l बुध की मिथुन राशि के स्वामी बुध है और आर्द्रा नक्षत्र के      स्वामी राहु है l बुध और राहु दोनों की शक्तियों समावेश होता हैं l बुध बुद्धि   और विद्या अधिपति माना जाता हैं राहु भी चंचलता, कार्यशीलता है l   अचानक से बदलाव आ जाता हैं l अचानक से अव्यवस्था और अराजकता   प्रकोप दिखाई देता हैं l मायाजाल और अनिश्चितता का प्रभाव दिखाई पड़ेगा l 

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