Friday, September 12, 2025

🕉️चातुर्मास एकादशी व्रत की कथा

                           🕉️                🕉️  नारायण: नमो नमः  भगवान् श्री विष्णु जी ने शयन कक्ष में क्यों जाना पड़ा था l इसका विवरण एक पौराणिक कथा है जिसमें राजा बलि ने सारे संसार को अपने अधीन कर लिया था l भगवान श्री विष्णु जी ने वामन अवतार में धारण किया था और राजा बलि से भिक्षा मांगी थी जिसमें भगवान् वामन ने प्रथम पग पृथ्वी को मापा लिया था और दूसरे पग पर आकाश मण्डल को नाप लिया था और तीसरे पग धरने के लिए स्थान मांग रहे थे और राजा बलि से पूछा कि मैं अपना तीसरा चरण कहां पर रखूं और राजा बलि ने अपना शीश झुका लिया था भगवान् श्री वामन जी ने अपना तीसरा चरण राजा बलि के शीश पर रखा दिया था और भगवान् वामन ने दान धर्म कर्म से बहुत ही ज्यादा प्रसन्न हो जाते हैं और राजा बलि को वरदान मांगने को कहा था कि राजा बलि ने कहा कि भगवान् आप सदैव मेरे साथ रहना है और प्रभु ने खुश कहा था जैसी तुम्हारी इच्छा पूर्ण हो l भगवान् श्री विष्णु जी राजा बलि से खुश होकर पाताल लोक में आए गए थे l फिर मां श्री लक्ष्मी जी को चिन्ता सताने लगी है कि अब मां लक्ष्मी जी ने साधारण वेश धारण कर लिया और राजा बलि के पास गई और राजा बलि को राखी बांधी थी और उपहार में श्री विष्णु जी को मांग लिया था l भगवान श्री विष्णु जी ने राजा बलि को कहा था कि मैं अपने वचन से मुकर नहीं सकता हूं और चातुर्मास में साथ रहने वादा किया था और भगवान् श्री विष्णु जी चातुर्मास में शयन करने के लिए पाताल लोक में आते हैं lपंचमअमृत से चरणामृत बना कर और 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें l भगवान् श्री विष्णु जी सोने की मूर्ति निर्मित करवा कर  पूजा पाठ करें और अपने जीवन में सुख और शांति बनाएं रखें l भगवान् श्री विष्णु जी को पीताम्बर पहनाकर सुन्दर पहना दिया था और श्वेत वस्त्र बिछा कर भगवान् श्री विष्णु जी शयन समापन किया था और भगवान् श्री विष्णु जी को प्रार्थना कि आप मुझे चातुर्मास में आपकी आराधना करने में सौभाग्य मिलेगा l मैं अपने तन, मन, और धन से आपकी आराधना में समर्थ हो पाऊं l

 

देवशयनी एकादशी तथा चातुर्मास एकादशी श्री कृष्ण बोले कि हे राजन् आषाढ़ शुक्ल पक्ष की इस एकादशी को देवशयनी एकादशी भी कहते हैं l चातुर्मास का व्रत इसी एकादशी से प्रारम्भ होता हैं l युधिष्ठिर बोले कि हे कृष्ण! विष्णु के शयन का व्रत किस प्रकार करना चाहिए और चातुर्मास्य के व्रत भी कहिए l श्री कृष्ण बोले कि हे राजन्!   अब मैं आपको भगवान् विष्णु जी के शयन व्रत और चातुर्मास्य व्रत की कथा सुनता हूं l आप सावधान हो कर सुनिये l         जब सूर्य कर्क राशि में आता हैं तो भगवान् को शयन कराते हैं और जब सूर्य तुला राशि में आते हैं तब भगवान् श्री विष्णु जी को जागते हैं l अधिक मास के आने पर भी यह विधि इसी प्रकार चलती है l इसके सिवाय और महीने में न तो शयन कराना चाहिये l आषाढ़ मास की एकादशी का विधिवत् व्रत करना चाहिए l उस दिन भगवान् विष्णु जी की चतुर्भुजी सोने की मूर्ति बना कर चातुर्मास्य व्रत के नियम का संकल्प करना चाहिए l भगवान् की मूर्ति को पीताम्बर पहनाकर सुन्दर श्वेत शैय्या पर शयन कराए और धूप, दीप, नैवेद्य आदि से भगवान् का षोडशोपचार पूजन करें, पंचामृत से स्नान आदि कराकर इस प्रकार प्रार्थना करें - हे हृषिकेश, लक्ष्मी के सहित मैं आपका पूजन करती हूं आप जब तक चातुर्मास शयन करें मेरे इस व्रत को निर्विघ्न सम्पूर्ण करें l

 

         

        इस प्रकार से भगवान् श्री विष्णु जी की स्तुति करके शुद्ध भाव से मनुष्यों को दातुन आदि   नियमों को ग्रहण करना चाहिए l भगवान श्री विष्णु जी को ग्रहण करने के पांच काल वर्णन किए हैं l देवशयनी एकादशी से यह व्रत किया जाता हैं l एकादशी, द्वादशी, पूर्णमासी, अष्टमी और कर्क संक्रान्ति से व्रत प्रारम्भ किया जाता हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वादशी को समाप्त किया जाता हैं l

     इस वर्ष चातुर्मास का प्रारम्भ हो रहा हैं ,6 जुलाई 2025  को देवशयनी आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष एकादशी  दिन रविवार तदनुसार शुरुआत  हो रहा हैं और 1 नवम्बर 2025 देव प्रबोधिनी एकादशी से भगवान् श्री विष्णु जी शयन कक्ष से बाहर आ जाएंगे l चतुर्मास में आने त्यौहार और एकादशी निम्न लिखित हैं: -

                            10 जुलाई 2025  गुरु पूर्णिमा तिथि  बृहस्पति दिवस।

                            11 जुलाई 2025 को श्रावण मास प्रारम्भ होगा l   

                            21 जुलाई 2025 कामिका एकादशी कृष्ण पक्ष  

                           28 जुलाई 2025 सोमवार को विनायक चतुर्थी  , 

                           29 जुलाई 2025 मंगलवार को नाग पंचमी

                            31 जुलाई 2025 गुरुवार शीतला सप्तमी तिथि होगी l

                                अगस्त 2025           

                             5 अगस्त 2025 पुत्रदा / पवित्रा एकादशी शुक्ल पक्ष दिन मंगलवार     

                          9 अगस्त 2025 शनिवार रक्षाबंधन पूर्णिमा 

                          16 अगस्त 2025 श्री कृष्ण जन्माष्टमी शनिवार,    

                          19 अगस्त 2025 अजा एकादशी मंगलवार।   हरियाली तीज 

                           26 अगस्त 2025 मंगलवार  हरियाली तीज ।

                           27 अगस्त 2025 श्री गणेश चतुर्थी बुधवार।      

                              सितम्बर 2025         

                          3 सितम्बर 2025 भाद्रमास शुक्ल पक्ष परिवर्तिणी एकादशी दिन बुधवार,    

                          5 सितम्बर 2025  को शिक्षक दिवस दिन शुक्रवार

                          7 सितम्बर 2025 को प्रोषठपदी पुर्णिमा खग्रास चन्द्र ग्रहण श्राद्ध पक्ष प्रारम्भ रविवार   

                           17 सितम्बर 2025 इंदिरा एकादशी बुधवार  

                           21 सितम्बर 2025 अमावस्या श्राद्ध पक्ष समापन खंडग्रास सूर्य ग्रहण दिन रविवार    

                          22 सितम्बर 2025 शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ दुर्गा पूजा महाराजा श्री अग्रसेन जयंती 

                          30 सितम्बर 2025 को दुर्गा अष्टमी पूजन।      

                                                  अक्टूबर 2025       

                          1 अक्टूबर 2025 महानवमी तिथि बुधवार। 

                         2 अक्टूबर 2025 दशहरा का पर्व महात्मा गांधी जी जयंती, श्री लाल बहादुर शास्त्री जी जयंती। 

                         3 अक्टूबर 2025 अश्विन शुक्ल पक्ष पाशाकुशा एकादशी शुक्रवार    

                         6 अक्टूबर 2025 शरद पुर्णिमा कार्तिक माह स्नानप्रारंभ  

                        10 अक्टूबर 2025 करक चतुर्थी  / करवा चौथ व्रत  शुक्रवार 

                        13 अक्टूबर 2025 अहोई अष्टमी पूजन   

                        17 अक्टूबर 2025 रमा एकादशी शुक्रवार       

                        18 अक्टूबर 2025 धनतेरस, धनवंतरी जयंती शनिवार ,   

                         20 अक्टूबर 2025 नरक चतुर्दशी तिथि सोमवार।      

                        21 अक्टूबर 2025 लक्ष्मी जी पूजन दीपावली कार्तिक अमावस्या मंगलवार।  

                        22 अक्टूबर 2025 गोर्वधन पूजन बुधवार।        

                        23 अक्टूबर 2025 भाईदूज गुरुवार।     

                        28 अक्टूबर 2025 छठ पूजा मंगलवार।     

                        30 अक्टूबर 2025 गोपाष्टमी गुरुवार       

                        31 अक्टूबर 2025 जगधात्री पूजा, सरदार पटेल जंयती, अनला नवमी पंचक प्रारंभ 06:47 मिनट पर   

                       1 नवम्बर 2025 प्रबोधिनी एकादशी चातुर्मास शयन समापन पंजाब हरियाणा दिवस 

       प्रबोधिनी एकादशी की कथा 1 नवंबर 2025 को व्रत करना चाहिए l                           भगवान् श्री विष्णु जी योग निद्रा से जाग जाएंगे l ब्रह्मा जी बोले कि हे मुनिश्रेष्ठ अब मैं आपको को सब पापों           से मुक्त करने वाली और पुण्य प्राप्त करवाने वाली प्रबोधिनी एकादशी जी कथा को सुनता हूं संसार में                       पृथ्वी पर गंगा नदी में स्नान करने से और दूसरे धार्मिक स्थल पर महत्व तभी तक रहता है जब तक                           कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी तिथि नहीं आती है l 16 अक्टूबर 2025 को कार्तिक संक्रांति                     पर सूर्य देव तुला राशि में गोचर करेंगे और मंगल और बुध के साथ युति में स्थित होंगे l  

                  18 अक्टूबर 2025 बृहस्पति देव मिथुन राशि से निकल कर कर्क राशि में उच्च की राशि में गोचर करेंगे l                   एकादशी का व्रत करने से पुण्य प्राप्त होता हैं जो एक हजार यज्ञ करने से नहीं मिलता है l स्नान करके                      शुद्ध रूप से शारीरिक और शुद्ध वस्त्रों को धारण कर एकाग्रता से धूप, दीप नैवेद्य से श्री विष्णु जी पूजा               पाठ करना चाहिए l यदि आप स्वास्थ्य ठीक तो निर्जला व्रत करना चाहिए l द्वितीया तिथि को दान                           करें और ब्राह्मणों को यथा भोजन सामग्री दे l उसके बाद स्वयं अन्न जल ग्रहण करना चाहिए l यह                           हमारे जीवन पापों को नष्ट कर देता हैं l कीर्तन करना चाहिए और हो सके तो रात्रि में जागरण करने                          से ज्यादा पुण्य प्राप्त होता हैं l व्रत प्रारम्भ करने से श्राद्ध भक्ति से श्री विष्णु जी प्रार्थना करे और देशी घी दीपक जलाएं और अखण्ड कीर्तन करना चाहिए l वो हमारे सभी प्रकार की पापों को नष्ट करते हैं और अगले जन्म में विष्णु लोक में जाता हैं l

चातुर्मास में कुछ नियमों का पालन करना चाहिए l सुबह सवेरे उठाना चाहिए और नित्य कर्म से निवृत होकर, श्री विष्णु जी आराधना करनी चाहिए l भोजन सामग्री में बैगन, दही और तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए l मांसाहार और मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए l चतुर्मास में कोई शुभ कार्य नहीं करना चाहिए जैसे विवाह, शादी, सगाई नहीं करने चाहिए l भगवान् श्री शिव जी के मंत्र जाप करना चाहिए l एक समय भोजन करना चाहिए और पृथ्वी पर सोना चाहिए l दान धर्म और पूजा पाठ अवश्य करना चाहिए l अपने पुर्वजों को श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मण को भोजन करना चाहिए और अच्छी वस्त्र आदि दान करें l ब्रह्मचारी का पालन करना चाहिए l  श्रीमद भागवत गीता जी पूजा पाठ करना चाहिए l मन, कर्म और वचन से धारण करना चाहिए l काम, क्रोध, लोभ और मोह का त्याग करना चाहिए l 

No comments:

Post a Comment