Wednesday, October 28, 2020

12 अप्रैल 2021 को नव विक्रम संवत 2078 का शुभारंभ होगा।




                  





हमारा समस्त ब्रह्माण्ड अत्यन्तविशाल ,असीम एवं अनन्त हैं।हमारे जीवन आकाश गंगा में स्थित ग्रहो और नक्षत्रों पर आधारित होता है।हमारे सौरमण्डल में पृथ्वी, मंगल,शुक्रआदि सभी ग्रह सूर्य से प्रकाशित होकर उसी के इर्दगिर्द परिक्रमा करते हैं ।ग्रह मण्डल और तारो के समूह को आकाश गंगा के नाम से जानते है। हमारे पौराणिक साहित्य में सूर्य की उत्पत्ति और प्रलय का कारण माना गया हैं। ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म ने पूर्व कल्पो की भान्ति ही सूर्य,चन्द्र,नक्षत्रों,पृथ्वी,आंतरिक तथा उनमें स्थित आकाशीय पिण्डो की रचना की है।
ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि मे सूर्योदय काल में सृष्टि की रचना हुई। उसी समय से ग्रहो ने अपनी-अपनी कक्षा में प्रति भ्रमण आरम्भ कर दिया। विक्रम संवत का आरम्भ 2062 में कलियुग के कुल वर्ष प्रारम्भ हुआ है। कलियुग की उतपत्ति सन् ईसवी शुरू होने से 3102 वर्ष पूर्व ,18 फरवरी भाद्रपद मास ,कृष्णपक्ष ,त्रयोदशी तिथि ,रविवार आश्लेषा नक्षत्र ,व्यतिपात योग में अर्धरात्रि के समय हुई थी। विक्रमी संवत आरम्भ 3045 वर्ष पूर्व कलियुग की उतपत्ति मानी जाती है।जिसको कलि संवत के नाम से जानते हैं। उसके बाद युधिष्ठिर सम्वत का प्रचनल रहा।विक्रमी संवत का शुभारंभ हुआ है।
हमारा समस्त ब्रह्माण्ड अत्यन्तविशाल ,असीम एवं अनन्त हैं।हमारे जीवन आकाश गंगा में स्थित ग्रहो और नक्षत्रों पर आधारित होता है।हमारे सौरमण्डल में पृथ्वी, मंगल,शुक्रआदि सभी ग्रह सूर्य से प्रकाशित होकर उसी के इर्दगिर्द परिक्रमा करते हैं ।ग्रह मण्डल और तारो के समूह को आकाश गंगा के नाम से जानते है। हमारे पौराणिक साहित्य में सूर्य की उत्पत्ति और प्रलय का कारण माना गया हैं। ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म ने पूर्व कल्पो की भान्ति ही सूर्य,चन्द्र,नक्षत्रों,पृथ्वी,आंतरिक तथा उनमें स्थित आकाशीय पिण्डो की रचना की है। ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि मे सूर्योदय काल में सृष्टि की रचना हुई। उसी समय से ग्रहो ने अपनी-अपनी कक्षा में प्रति भ्रमण आरम्भ कर दिया। विक्रम संवत का आरम्भ 2062 में कलियुग के कुल वर्ष प्रारम्भ हुआ है। कलियुग की उतपत्ति सन् ईसवी शुरू होने से 3102 वर्ष पूर्व ,18 फरवरी भाद्रपद मास ,कृष्णपक्ष ,त्रयोदशी तिथि ,रविवार आश्लेषा नक्षत्र ,व्यतिपात योग में अर्धरात्रि के समय हुई थी। विक्रमी संवत आरम्भ 3045 वर्ष पूर्व कलियुग की उतपत्ति मानी जाती है।जिसको कलि संवत के नाम से जानते हैं। उसके बाद युधिष्ठिर सम्वत का प्रचनल रहा।विक्रमी संवत का शुभारंभ हुआ है।
हमारा समस्त ब्रह्माण्ड अत्यन्तविशाल ,असीम एवं अनन्त हैं।हमारे जीवन आकाश गंगा में स्थित ग्रहो और नक्षत्रों पर आधारित होता है।हमारे सौरमण्डल में पृथ्वी, मंगल,शुक्रआदि सभी ग्रह सूर्य से प्रकाशित होकर उसी के इर्दगिर्द परिक्रमा करते हैं ।ग्रह मण्डल और तारो के समूह को आकाश गंगा के नाम से जानते है। हमारे पौराणिक साहित्य में सूर्य की उत्पत्ति और प्रलय का कारण माना गया हैं। ऋग्वेद के अनुसार ब्रह्म ने पूर्व कल्पो की भान्ति ही सूर्य,चन्द्र,नक्षत्रों,पृथ्वी,आंतरिक तथा उनमें स्थित आकाशीय पिण्डो की रचना की है। ब्रह्मपुराण के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को अश्विनी नक्षत्र एवं मेष राशि मे सूर्योदय काल में सृष्टि की रचना हुई। उसी समय से ग्रहो ने अपनी-अपनी कक्षा में प्रति भ्रमण आरम्भ कर दिया। विक्रम संवत का आरम्भ 2062 में कलियुग के कुल वर्ष प्रारम्भ हुआ है। कलियुग की उतपत्ति सन् ईसवी शुरू होने से 3102 वर्ष पूर्व ,18 फरवरी भाद्रपद मास ,कृष्णपक्ष ,त्रयोदशी तिथि ,रविवार आश्लेषा नक्षत्र ,व्यतिपात योग में अर्धरात्रि के समय हुई थी। विक्रमी संवत आरम्भ 3045 वर्ष पूर्व कलियुग की उतपत्ति मानी जाती है।जिसको कलि संवत के नाम से जानते हैं। उसके बाद युधिष्ठिर सम्वत का प्रचनल रहा।विक्रमी संवत का शुभारंभ हुआ है।


                             

संवत्सर: - संवत्सर 60 वर्षों का एक चक्र है जिसमें प्रत्येक वर्ष का एक विशेष संवत्सर होता है। प्रत्येक 20 वर्षों के लिए इसके भगवान ब्रह्मा, विष्णु या शिव हैं। 20 साल के प्रत्येक भाग को बीसी कहा जाता है। 2010 में, संवत्सर 22 मार्च से शुरू हुआ। सूर्योदय के समय चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन को संवत्सर दिवस के नाम से जाना जाता है। 2010-11 में यह शोभन नाम का शोभनार था, विष्णु द्वारा शासित 17 वां संवत्सर, यह 20 विष्णुशिन्तिका में से एक था।अमावस्या 12 अप्रैल 2021 को सुबह 8 बजकर 01 मिनट तक। सूर्य और चन्द्र दोनों ही मीन राशि और रेवती नक्षत्र में स्थित हैं।एक समान अंशो पर है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नव संवत का प्रारंभ होता हैं।एक सूर्योदय से दूसरे सुर्योदय तक एक दिन होता हैं।चूँकि प्रतिपदा ने सूर्योदय 13 अप्रैल 2021 को देखा और इस दिन मंगलवार हैं।अतः विक्रम संवत के स्वामी मंगल ग्रह हैं।विक्रम संवत 2078 का राजा क्रूर ग्रह मंगल है।इस संवत की ग्रह परिषद में छः पद क्रूर ग्रहो के पास है और 4 पद सौम्य ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। महा क्रूर  शनि जी के कोई पद नही है।इस संवत का राजा एवं मन्त्री किसान एवं आद्योगिक क्षेत्र का प्रतिनिधि ग्रह मंगल हैं।मंगल को भौम नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह भूमि का पुत्र हैं।

                               





नया विक्रम संवत कर 06 :02  बजे वृषम  लग्न में प्रवेश करेगा, शास्त्र के नियमों के अनुसार, चैत्र महीने के उज्ज्वल पखवाड़े के पहले दिन का नाम संवत्सर दिवस पर सूर्योदय, विक्रम संवत है। 2078  और चैत्र नवरात्रि 13  अप्रैल , 2021 
का शुभारंभ रेवती नक्षत्र में मंगलवार को रेवती नक्षत्र में शुरू होगी। इस वर्ष के राजा मंगल होंगे और मंत्री मंगल  होंगे।
           इस बार, अमावस्या और नव संवत्सर के दिन, सूर्य और चंद्रमा मीन राशि में ठीक एक ही अंश पर हैं अर्थात् मीन राशि में नया चंद्रमा  उदय हुआ।

विक्रम संवत: - विक्रम संवत की शुरुआत 57 वर्ष ई.पू. जब उज्जयिनी नरेश विक्रमादित्य ने विदेशियों पर जीत का जश्न शुरू किया।

 ए डी से अधिक 57 वर्ष की शुरुआत को विक्रम संवत्सर वर्ष के रूप में जाना जाता है। विक्रम संवत का चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। इसे उत्तरी भारत में मानी जाने वाली कृष्णादि पद्मावती के अनुसार अमावस्या से जाना जाता है। बृहस्पति 
  एक राशि मे जितने समय एक राशि मे गोचर करता है।2077 में बृहस्पति का गोचर एक र्से राशि लगभग 10 महीने हुआ था। बाहसर्पत्य वर्ष कहते हैं।संवत्सरों की कुल सख्या 60 होती हैं।2077 आनन्द की समाप्ति हुई है।अब विक्रम संवत राक्षस 49 का शुभारंभ हुआ है।




     विक्रम संवत 207 8 का राजा मंगल  है: -मंगल को युद्ध का देवता कहा जाता जाता है।लाल रंग के कारण उग्र और क्रू ग्रह है।यह हिंसा, विनाश, शक्ति ,सशस्त्र बलों ,सेना ,पुलिस, इंजीनियरिंग,अग्निशमन,शल्य चिकित्सा, कसाई,छिपकर हत्या करने वाला, दुर्घटना,अपहरण,,बलात्कार, राजैनतिक अस्थिरता के कारक ग्रह हैं।राक्षस संवत में प्राकृतिक प्रकोपो  एव अव्यवस्था के कारण फसलों को हानि तथा विभिन्न की बीमारियों एवं महामारी से लोगो को कष्ट रहेगा | मँहगाई में वृद्धि ये परिणाम दिखाई देंगे \ राक्षसो जैसा आचरण। स्वार्थी ,भय का वातावरण , लोग रक्षास  जैसी सोच बन जाएगी | वृषभ राशि मे मंगल और राहु दोनों ही विद्यामान हैं।दूसरा घर हमारी वाणी, परिवार,विद्या, वशिष्ठ भोजन,अमीरी,और पेय,दायाँ आँख, हमारे मुँह की लालिमा, पत्रिका, वाणी का स्थान हैं।शुक्र की राशि मे मंगल का प्रवेश हैं।मंगल हमारी मानसिक और शरीरिक शक्ति, पृथ्वी से उत्पन्न खाद्य पदार्थों,नृशंसता, युद्ध,अग्नि,सोना, हथियार, चोरियों, दुश्मन,कामेच्छा, उच्च सोच, पाप, वायु,  सेना के सर्वोच्च पद का कारक ग्रह हैं।वृषभ राशि मे मंगल और राहु दोनों ही विद्यामान हैं।दूसरा घर हमारी वाणी, परिवार,विद्या, वशिष्ठ भोजन,अमीरी,और पेय,दायाँ आँख, हमारे मुँह की लालिमा, पत्रिका, वाणी का स्थान हैं।शुक्र की राशि मे मंगल का प्रवेश हैं।मंगल हमारी मानसिक और शरीरिक शक्ति, पृथ्वी से उत्पन्न खाद्य पदार्थों,नृशंसता, युद्ध,अग्नि,सोना, हथियार, चोरियों, दुश्मन,कामेच्छा, उच्च सोच, पाप, वायु,  सेना के सर्वोच्च पद का कारक ग्रह हैं।विक्रम संवत 2078 के राजा मंगल होने से इस साल आंधीतूफान का जोर रहेगा।वायुयान दुर्घटनाएँ, अग्निकांड, भूंकम्प, प्राकृतिक आपदाओं, आतंकवादी घटनाओं, तस्करी,ठगी और लूटपाट की घटनाओं में वृद्धि होगी। समाज मे रोगों की बढ़ोतरी और अचानक से आंधी-तूफान,चक्रवात, होने से जनता बहुत ज्यादा दुःखी होगी।कृषिक्षेत्र में उत्पादन की कमी से महगाई बढ़ेगनववर्ष विक्रम संवत 2078 की कुंडली में 6 क्रूर ग्रहो के पास महत्वपूर्ण पदों की भूमिका है।राजा,मन्त्री और वर्षा का अधिकार मंगल ग्रह के पास है। मंगल ग्रह युद्ध प्रिय, टकराव, प्रतिद्वंद्विता प्रवृत्तियां बढ़ेगी।जिससे भारत और पड़ोसीदेशों में आशन्ति बढ़ेगी ।जिसके कारण राजैनतिक,सामाजिक और सरहदी क्षेत्रों में तनाव दिखाई देगा।भारतवर्ष में आंतरिक क्षेत्रों में साम्प्रदायिक दंगे,उग्रवादी घटनाओं, देश की आर्थिक मन्दी, अनिश्चितता को बढ़ावा मिलेगा। भारतवर्ष,नेपाल, पाकिस्तान,चीन ,ईरान और ईराक आदि देशों में राजैनतिक हिंसा बढ़ने से तनाव का मौहाल बनेगा।उपद्रव की घटनाओं की वृद्धि होगी। प्रधान नेतृत्व अपना निरकुंश एवं मनमानी करेगे।जिसके साधारण जनजीवन प्रभावित होगा।चीन सीमाओँ पर उथलपुथल का मौहल बरकरार रहेगा। हमारी सीमाओँ पर सुरक्षित नही होंगे ,आम लोगों जनता बाजार में तेजी से बढ़ती महंगाई से परेशान होंगे। भारतवर्ष को अपनी सुरक्षा के उचित कदम उठाने की जरूरत होगी।


राजा का वाहन :-         
1. .राजा एवं मंत्री :- मंगल ग्रह हैं:-   मंगल: - अग्नि दुर्घटनाओं, चोरी आदि के कारण जान-माल की हानि, लोगों की शांति को भंग कर सकती है। राजाओं के बीच युद्ध, युद्ध का भय। लोगों को बीमारियों और अलगाव के कारण परेशानी का सामना करना पड़ेगा।  अल्प वर्षा।  वाहन बैल
3. सस्येश (ग्रीष्म की फसल के स्वामी):- शुक्र ग्रह हैं। वर्षा पर्याप्त मात्रा में होगी।गेहूँ,जौ,चावल, गन्ना की फसलों से लाभ होगा।मौसमी फलों की फसल अच्छी होगी।सुन्दर फूलों से संसार अच्छा लगेगा।अनाज, तेलो ,घी,सोना और चाँदी का व्यापार अच्छा होगा।     

 4.धान्येश( सर्दी फसलों के स्वामी):- बुध ग्रह है। पैदावार तो अच्छी होगी।परन्तु मंहगाई ज्यादा रहेगी। इस वर्ष पंजाब और हरियाणा में पानी की कमी रहेगी और कृषिक्षेत्र में एक तरह की कमी दिखाई देगी।   

 5.मेघेश (वर्षा के स्वामी) मंगल एवं चन्द्र  ग्रह है:-  जब सूर्य ग्रह आर्द्रा नक्षत्र में गोचर करते हैं। अच्छी फसलों होगी।गाय के दूध में वृद्धि होगी।फलों और फूलों की बढ़ोतरी से देश मे खुशशाली आएगी।जौ की फसल में वृद्धि होगी।राजस्थान,महाराष्ट्रऔर गुजरात तथा प्रत्येक राज्य अलग अलग प्रभाव दिखाई देगा।

6.रसेश ( रसदार फलों के स्वामी):-सूर्य  वर्षा की कमी ,घी की कमी , तेल, कपडों रहेगी।केवल अमीर मनुष्य आरामदायक जीवन जियेगे। ज्यादातर लोगों दिखावे का प्रदर्शन के लिए धन खर्च करेंगे।अधिकांश लोगों  सामान्य तौर उलझनों,परेशनियों और आर्थिक स्थिति समस्याओं से घेरे रहेंगे।

 7. निरेसेश (धातु के स्वामी ) शुक्र ग्रह हैं। कपूर, चन्दन की चीजों ,सोना,मोती,और कपड़ो में वृद्धि होगी।जिससे गरीब लोग परेशान होगी।
 8. फलेश (फलों और फूलों के स्वामी) चन्द्र हैं। सीखने वाले लोग खुश रहेंगे।शासक कानून बनाएगा और उसकी पालना के लिए बाध्य करेगा।उसकी न पालन करने वालो के प्रति कठोर होगा।

5 comments:

  1. कुछ विद्वान बता रहे हैं कि संवत 2078, 28 मार्च से सुरू होगा

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  2. Thanks
    Tell me the name of those scholars.

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  3. thanks tell me the name of those respected scholars.

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  4. Gurudev ye aanandi samvatsar hai ya rakshash kyonki pichla samvatsar koi pramadi to koi aanandi bata rahe the

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  5. Tula rashi walo pe kiska kya prabhav hoga

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