Saturday, April 9, 2022

ग्रहगोचर महादशा / अन्तर दशा में अनिष्ट फल हो तब दान की वस्तुएँ तथा मंत्र जप

 

हमारे सौरमंडल में नौ ग्रह है।सूर्य,चन्द्र,मंगल,बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि और राहु केतु ग्रह है।आकाश मंडल में चंद्रमा एक राशि मे सवा दो दिन रहता है।बुध व शुक्र एक राशि मे एक माह तक गोचर करते हैं।सूर्य एक राशि में माह  रहता है।मंगल 45 दिनों तक एक राशि में गोचर करते हैं।सूर्य और मंगल जैसे ही एक राशि में प्रवेश करते हैं तो जल्दी ही अपना प्रभाव दिखाई देते हैं।बृहस्पति और शुक्र के गोचर के मध्य भाग में अपना प्रभाव दिखाते हैं।शनि और चन्द्र एक राशि मे के अंतिम चरण में अपना प्रभाव दिखाई देता है।बुध और राहु एक राशि में आने के बाद धीरे धीरे अपना प्रभाव दिखाते हैं।जन्म कुण्डली में ग्रह अस्त,नीच हो तो गोचर में उनके परिणाम अच्छे नहीं होते है।यदि गोचर में उस ग्रह की दशा और अंतर्दशा चल रही हो।उनके परिणाम दिखाई देते हैं।उसके लिए कुछ पदार्थों का दान,मन्त्र जप अवश्य करना चाहिए।

यदि सूर्य खराब हो ।       

 1.व्यक्ति को हृदय रोग, पेट के सम्बंधित रोग देता है।

 2.हड्डियों के रोग, पक्षाघात देता है।

 3.बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाती हैं।

4. सरकारी कार्यों में रुकावट पैदा होती हैं।

5.दाएं आँख में समस्या हो जाती हैं।

6.पिता जी के संबंध अच्छे नहीं होते है।7.पत्नी बीमार रहती हैं।

8. मानसिक रूप से तनाव होने से पति से तलाक भी हो सकता है।

9. यदि सूर्य बारहवें घर में हो तो शादी मे लड़ाई झगड़ा होता है।

चन्द्रमा खराब हो तो इस तरह के लक्षण दिखाई देंगे।

 व्यक्ति को मानसिक तनाव होता है।

2 बच्चे को मिर्गी के दौरे पड़ते हैं।फेफड़ों की समस्या होती हैं।

3. छाती एवं ब्रेस्ट में बीमारी होती हैं।

4. कभी कभी व्यक्ति नशेड़ी हो जाता हैं।

5.माता जी बीमार रहती हैं।

6.सास बहू के बीच में झगड़ा रहता है।

7.लड़कियां सुसराल में खुश नहीं रहती हैं

।8. पहले अधिक लड़कियां, उसके बाद लड़का होता हैं। 

9.बड़ा बच्चे का चरित्र खराब रहता है।

10. लड़कियों को मासिक धर्म चक्र में अवस्थित होता हैं।

खराब मंगल ग्रह के लक्षण:- 

नीच राशि का मंगल हो।

मंगल  व्यक्ति के साहस , शक्ति, छोटे भाई बहनों का कारक, रक्त, भूमि का भी कारक होता हैं।                  

निम्नलिखित लक्षण होते हैं।

1. भाई बहनों से झगड़ा होना ।

2.घर में चोरी होना 

3.पेट में समस्या रहना,

 4.अचल सम्पत्ति से हाथ धोना या किसी अन्य ने आपके घर पर कब्जा कर लिया हो। भूमि अधिग्रहण विवाद न्यायालय में चलना। 

5,जोड़ों में दर्द होना,

6. शादी के अतिरिक्त अन्य स्त्री से सम्बन्ध स्थापित करना।

7. हाई रक्तचाप, चोट से जख्म होना, शल्य चिकित्सा होना। 

8.अचानक से मामा और भाई को समस्या होना।घर में आग लग जाना।

ग्रहगोचरमहादशा / अन्तर दशा में अनिष्ट फल हो तब दान की वस्तुएँ तथा

मंत्र जप  

सूर्य 

माणिक 

सोना 

ताम्र 

गुड़  

घी 

लाल वस्त्र  

लाल चंदन 

गेहूं 

7000 

चन्द्रमा 

मोती 

चाँदी 

तांबे 

चावल 

मिश्री 

दही /खीर/सफेद वस्त्र   

सफेद चंदन 

कपूर 

11,  000 

मंगल 

तांबा 

मूंगा 

गुड़ 

मसूर  

घी 

लाल कपड़े 

लाल चन्दन 

केसर 

10, ,000 

बुध  

पन्ना  

कांसी 

मूंग 

खांड  

हरे फल 

हरा वस्त्र 

हरा चारा   

कांस्य के बर्तन भोजन  

19000 

गुरु 

पुखराज 

सुवर्ण  

दाल चना  

खांड  

पीले फल 

पीले वस्त्र 

हल्दी 

पुस्तके 

19000 

शुक्र 

हीरा 

रजत  

चावल 

मिश्री 

दूध 

सफेदवस्त्र  

सफेदचंदन  

सफेद फूल 

16000 

 











शनि 

 

नीलम 

सुवर्ण 

लोहा 

उड़द 

कुल्थी 

तेल 

काले वस्त्र 

काले पुष्प 

23000  

राहु 

गोमेद 

सीसा 

तिल 

सरसो 

तिल 

नीले वस्त्र 

नीले फूल 

शराब जल प्रवाह 

18000  

केतु 

लहसुनिया 

लोहा 

तिल 

सप्तधान्य 

तेल 

धूम्रवस्त्र 

नारियल 

कंबल 

17000 

 

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः                 सूर्य उदय के समय
 महादशा और अन्तर्दशा खराब चल रही हो तो शुक्ल पक्ष से निम्नलिखित कुछ उपाय अवश्य करें :-                                                  सूर्य के उपाय :- शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को सुबह सूर्योदय से पूर्व एक लोटा जल में सिंदूर या लाल चन्दन डाल कर सूर्य को अर्घ्य प्रदान करना चाहिए। यह उपाय कम से कम 41 दिनों तक अवश्य करें।रविवार को नमक के बिना  भोजन ग्रहण करे। उसके बाद भी कोई समस्या है तो माणिक को सोने अंगूठी में डलवा कर तर्जनी उंगली में धारण करें।ताँबे की अंगूठी में पहनना चाहिए | सूर्य सम्बंधित वस्तुओं को मन्दिर में दान देनी चाहिए।अपने पिता जी एवं बड़ो का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।

ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्राय नमः                सन्ध्या काल 
यदि चंद्रमा खराब हो तो निम्नलिखित उपाय अवश्य करें।
 चांदी के गिलास में जल और दूध ग्रहण करे।
 सोमवार के दिन शिवालय मे जाकर शिवलिंग के ऊपर  दूध डाल कर जल अर्पण करें।
 शमशान घाट से जल लाकर अपनें घर में किसी ऊंचे स्थान पर रखें।
सोमवार को व्रत रखे। नमक का प्रयोग मत करे।खीर, चावल का भोजन ग्रहण करे।
रात्रि में सोते समय अपने सिरहाने जल का लोटा रखें और सुबह उस जल को कीकर के पेड़ में डाल दें।
24 वर्ष से पहले विवाह मत करे। 
यदि विवाह हो गया हो तो अपने ससुराल में चांदी घर में लाकर रखें।
ॐ क्रां क्रीं क्रों सः भौमाय नमः              घटी 2 शेष दिन  
 ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:                 घटी ५ शेष दिन

 ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।                 सन्ध्या समय। 
ॐ द्रां द्रीं द्रों स: शुक्राय नम:                 सूर्योदय  
ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:                   मध्याहन।
 ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों स: राहवे नम:                 रात्रि में 
ॐ स्रां  स्रीं स्रौं स: केतवे नमः                रात्रि 



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