Thursday, June 23, 2022

30 सितंबर से 25 नवम्बर 2022 शुक्र अस्त अवस्था कन्या राशि में गोचर करेंगे

           30 सितंबर 2022 को भारतीय मानक समय 6 बजकर 19 मिनट पर शुक्र ग्रह उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र चतुर्थ चरण में  कन्या राशि स्थित हैं ।कन्या राशि मे शुक्र अपनी नीच राशि में स्थित है। सूर्य-बुध के साथ युति में होगे।विक्रमी संवत 2079,आश्विन मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि, दिन शुक्रवार को शुक्र कन्या राशि में स्थित अस्त होने जा रहे हैं।कन्या राशि में सूर्य और बुध वक्री अवस्था में स्थित है।

         


शुक्र 30 सितंबर से 25 नवम्बर 2022  कुल 57 दिनों अस्त अवस्था में रहेंगे।कन्या, तुला और वृश्चिक में गोचर करेंगे |   सूर्य-शुक्र-वक्री बुध की दृष्टि शनि के ऊपर है,सूर्य- बृहस्पति का समसप्तक योग का निर्माण कर रहे हैं।देश विशेष में युद्ध का भयंकर वातावरण बनेगा।सीमा क्षेत्रों में अशांति रहेगी।रक्तपात,कुछ प्रान्तो में बाढ़ ग्रस्त होगे।बंगाल, बिहार, झारखंड और पूर्वी मध्यप्रदेश,गुजरात, पश्चिमी पंजाब, मुल्तान, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान आदि ।भूकंप, आगजनी, उग्रवादी घटनाओं, महामारी ,आकाशीय बिजली गिरने की सम्भावना हैं।मुस्लिम देशों में सत्ता परिवर्तन का योग बन रहे है।पाकिस्तान, रूस,चीन कोरिया की देशों में शस्त्र निर्माण के कार्य अघोषित युद्ध का संकेत मिल रहा है जिसके कारण विश्व में अशांति फैलने की सम्भावना हैं।प्राकृतिक प्रकोप से हालात खराब होंगे।देश की मुद्रा स्थिति कमजोर होने से जनता महंगाई से परेशान रहेगी।


खगोल शास्त्र के अनुसार पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर घूमकर एक चक्र 24 घण्टे में पूरा करती हैं।सूर्य और सभी ग्रहों को पूर्व से पश्चिम की ओर चलता हुआ दिखाई देता है।इस कारण आकाशीय पिंड प्रतिदिन पूर्व में उदय होकर पश्चिम में अस्त हो जाते है।कोई भी ग्रह जब भ्रमण करते हुए जब सूर्य के निकट आ जाता हैं।सूर्य के प्रकाश में ढक जाता है, उस समय में वो आकाश में दिखाई नही देता है और उस समय ग्रह का अस्त होना कहते है।वैसे तो बुध और शुक्र हमेशा जब पृथ्वी के समीप आते हैं और तब वो मार्गी नहीं रहते हैं, वो वक्री हो जाते है।शुक्र भोगांश में सूर्य के भोगांश से कम हो,उस समय यह सूर्योदय से पहले पूर्व में दिखाई देते है।कुछ दिनों गति करते हुए हैं, सूर्य के समीप आ जाते है और उस समय समय ग्रह अस्त हो जाता हैं।या एक राशि में युति होने से निकट आ जाते है।अस्त हो जाते है।इस समय सूर्य और शुक्र कन्या राशि में युति कर रहे हैं।

           राजा और राक्षसों के गुरु शुक्र की युति होने का रही हैं।शुक्र कारक है, पत्नी,विवाह, सैक्स सम्बंधित मामलों का कारक,प्रजनन अंग,ऐ न्द्रीय सुख,संगीत, काव्य,सुगंध,ऐश्वर्या की सभी वस्तुओं,प्रेम संबंध, जीवन शक्ति , आकर्षक, नृत्य, वाहनों,इत्र,वीर्य,मांसपेशियों, मूत्राशय,केमिकल दवाओं,कलाओं,सजावट, समारोहों, वैभव, कामेच्छाओं, पत्नी,पति का कारक है।जिस समय दहन अवस्था में होते है शुभ कार्य बाधित  हो जाते है। जन्म चंद्रमा से शुक्र का गोचर पहले,दूसरे, तीसरे,चौथे,पंचम,आठवें,नवम, ग्यारहवीं, और बारहवीं घरों शुभ फल प्राप्त होते है।शेष घरों में शुभ फल प्राप्त नही होते है।गोचर में व्यक्ति को दुश्मनों से समस्याओं का सामना करते हैं।साझेदारी में रुकावट पैदा होती हैं।


   पत्नी के साथ मनमुटाव, यात्रा में वाहन से दुर्घटना,दूसरी स्त्रियों के साथ नाजाज सम्बंध,पेशाब की समस्या, किडनी में समस्या,कई तरह समस्याओं का सामना करना पड़ता है।यह तभी संभव है कि शुक्र की दशा,अन्तर दशा चल रही हो।यह प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग अलग प्रभाव पड़ता है।जब तक शुक्र ग्रह अस्त होते है कि शादी,विवाह, सामाजिक समारोह, सगाई,अनुष्ठान,मुण्डन, यज्ञोपवीत धारण, यज्ञ,मांगलिक कार्य, नाजायज सम्बंध नही बनाने चाहिए।जेवरात खरीद करना शुभ कार्य नहीं करने चाहिए।

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