कर्क राशि :- यह काल पुरुष की चौथी राशि है । इस राशि का
स्वामी चन्द्रमा है । यह जल तत्व, ह्रदयमें, चर , स्त्री वर्ण, कफ प्रकृति,
रात्रि में प्रबल, रजोगुणी तथा उत्तर दिशा की घोतक और ब्राह्मण जाति की
राशि है ।
पुनवर्सु नक्षत्र का अन्तिम चरण, पुष्य, आश्लेषा के चार -चार के
समावेश से इस राशि का निर्माण होता है । नक्षत्रो स्वामी अलग है, सूर्य,
मंगल , बुध , गुरु और शनि है जब जातक का जन्म इन नक्षत्रो के चरणो में में
होता है उसी के अनुरूप जातक का स्वभाव होता है ।जातक मधुभाषी, लम्बी आयु,
चंचल,भोगी, तर्कशील, शिक्षित, चर राशि, जल तत्व प्रधान और अपना कार्य
निकलवाने में दक्ष होता है । जलीय वस्तुओ का प्रिय, सच्चा प्यार करने वाला
तथा अनेक तरीके से धन अर्जित करने वाला होता है । जातक पेट्रोलियम, कोयला,
जल वितरक, दन्त विशेषज्ञ, ज्योतिषी तथा कम्पयुटर इंजीनियर को अपना सकता हो
सकता है । जातक को पेट के रोग, गैस, कर्ण रोग तथा शक़्कर संबन्धी रोग हो
सकता है । इनका भाग्य उदय 24 साल के बाद होता है ।

No comments:
Post a Comment