Sunday, January 16, 2022

भद्रा किसे कहते हैं

 ज्योतिषशास्त्र के महत्वपूर्ण पांच अंग होते है। 1.तिथि 2.वार 3.नक्षत्र 4.योग 5.करण यह सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं।

भद्रा किसे कहते हैं :- तिथि के अर्ध भाग को ही भद्रा कहते हैं। भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता हैं जैसे विवाह, मुंडन संस्कार , गृहारम्भ, यज्ञोपवीत,रक्षाबंधन,नवीन व्यवसाय शुभ कार्यो का प्रारम्भ करना वर्जित माना जाता है। भद्रा काल में तंत्र, मंत्र,शत्रु का उच्चाटन करना,यज्ञ करना,शस्त्र का प्रयोग करना, ऑपरेशन, मुकदमा दर्ज करना, भैंस, ऊंट,घोड़ा ,पशु सम्बन्धी कार्य करने प्रशस्त माने जाते हैं।एक पक्ष में लगभग चार बार भद्रा काल की आवृत्ति होती हैं।शुक्ल पक्ष की अष्टमी और पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्द्ध में तथा चतुर्थी एवं एकादशी तिथि के उत्तरार्द्ध में भद्रा काल होता है।  जबकि कृष्णपक्ष की ३ से १० वीं तिथि के उत्तरार्द्ध में तथा सप्तमी एवं १४ तिथि के पूर्वार्द्ध में भद्रा की व्याप्ति रहती हैं।


                                 

भद्रा कौन है :- भगवान सूर्य की पत्नी छाया से उत्पन्न पुत्री हैं।शनि देव की छोटी बहन हैं।शनिदेव की क्रूर ,विघ्न बाधा उत्पन्न करने वाली होती हैं।डरावनी,अशुभ प्रभाव,तंत्र विद्या में सिद्धि दे वाली है।शास्त्रों के अनुसार दिन की भद्रा रात्रि को और रात्रि की भद्रा दिन में भी व्याप्त हो जाए,तो वो भद्रा दोष रहित हो जाती हैं। भद्रा तीन प्रकार की होती हैं।स्वर्ग वाली ऊर्ध्वमुखी कहतेहै ।चन्द्र राशि मेष,वृषभ,मिथुन और वृश्चिक राशि का चन्द्रमा होने पर भद्रा स्वर्गलोक में, कन्या,तुला,धनु एवं मकर का चन्द्रमा होने से भद्रा पाताल लोक होती हैं।कर्क,सिंह,कुंभ व मीन राशि का चन्द्रमा होने पर भद्रा मृत्यु लोक में यानि भू-लोक सम्मुख में रहती हैं।

        भद्रा के नाम और नाम सदृश फल प्राप्त होता हैं। भाद्र के नाम 1 हंसी  2 नंदिनी 3त्रिशिरा  4 सुमूखी  5 करालिका 6 विकृति  7रौद्रमुखी  8 चतुर्मुखी जैसे शुक्ल पक्ष की अष्टमी पूर्वार्ध की भद्रा का नाम हंसी पूर्णिमा के पूर्वार्ध की भद्रा का नाम नंदिनी इत्यादि क्रम से भद्रा के नाम समझने चाहिए। चतुर्थी आदि तिथियों में भद्रा का मुख और पुच्छ किन किन प्रहरो में होता हैं।जैसे शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पांचवीं प्रहर के आदि की ५ घटी में भद्रा का मुख होता हैं। इसी प्रकार अष्टमी के दूसरे प्रहर में, एकादशी के सातवें प्रहर में, पूर्णमासी के चतुर्थ प्रहर और कृष्ण पक्ष की तृतीया के आठवें प्रहर, सप्तमी के तीसरे प्रहर में, दशमी के छठे प्रहर और चतुर्दशी के प्रथम प्रहर की आदि की ५ घाटियों में भद्रा का मुख होता हैं,जो शुभ  कार्यों में अशुभ होता हैं।

राशियों के अनुसार भद्रा का निवास

  लोक वास

स्वर्ग वास

पाताल लोक

भूमि लोक 

चन्द्र राशि

1,2,3 & 8

6,7,9,10

4,5,11,12

भद्रा मुख 

ऊधर्वमुखी 


अधोमुखी

सम्मुख

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