Tuesday, March 1, 2022

एक वर्ष में 12 मास और 12 संक्रांति एवं महत्व

 हमारे देश में सूर्य की एक राशि के भोगकाल को सौर मास कहते हैं एक सौर मास लगभग ३० दिन १० घण्टे का होता हैं। हमारे देश में विक्रमी संवत से हिन्दू नव वर्ष अप्रैल के महीने से आरम्भ होता हैं।जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है। उस दिन सौर मास की प्रथम तारीख होती है, उसी को संक्रान्ति भी कहते है। कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से पूर्णिमा तक, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक की समय अवधि को चंद्रमा कहा जाता हैं प्रत्येक चंद्रमा लगभग २९ दिन २२ घण्टे का होता हैं। चंद्रमा के नाम पूर्णिमा के दिन चंद्र द्वारा संचालित नक्षत्र संज्ञा पर आधारित होते हैं। सौर मास के नाम वैशाख ज्येष्ठ आषाढ़ श्रावण भाद्रपद आश्विन कार्तिक मार्गशीर्ष पौष माघ फाल्गुन चैत्र । एक वर्ष में १२ मास और १२ संक्रांति होती हैं|

                                


उग्र संज्ञक नक्षत्र या रविवार के दिन सूर्य की संक्रांति हो उसका नाम घोरा होता हैं यह संक्रांति शुद्र वर्ण के मनुष्यों के लिए सुखद होती हैं। लघु 
संज्ञक नक्षत्रों सोमवार की संक्रांति का नाम ध्वांक्षी और वैश्यों के लिए सुखद होती हैं।चर नक्षत्र और मंगलवार की संक्रांति का नाम महोदरी हैं जो चोरों के हित में होती हैं।मैत्र संज्ञक नक्षत्र बुधवार की संक्रांति का नाम मन्दाकिनी क्षत्रियो के सुखद परिणाम देते हैं।स्थिर संज्ञक नक्षत्रों और गुरुवार के दिन की संक्रांति मंदा नाम की ब्राह्मणों के लिए हितैषी होती हैं।मिश्र संज्ञक नक्षत्रों और शुक्रवार की संक्रांति का मिश्रा और पशुओं के लिए हित में होती हैं।तीक्ष्ण संज्ञक नक्षत्रों शनिवार की संक्रांति का नाम राक्षसी जो चांडालों के हित में होती हैं।

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