गंडमूल नक्षत्र की परिभाषा
गण्डमूल नक्षत्र को परिभाषा :-
राशिपथ एक अंडाकार वृत का सा हैं।इसमें वृत के 360 अंश हैं। 360 अंशो को 12 पर भागो में बाटा जाता हैं। 30 अंश की के भाग राशि रखा गया हैं। राशियों के अलग अलग स्वामी ग्रह होते हैं।।दूसरे उसी वृत के 360 अंशों को 27 पर भाग में बाट दिया जाए तो एक भाग 13 अंश 20 कला का होगा।उसको भाग को नक्षत्र कहते है। नक्षत्र स्थिर होते हैं।ग्रह भ्रमणशील होते हैं। एक नक्षत्र के चार पद होते है। 13.20 + 13.20 = 26.40 +3.20 = 30 अंशो की एक राशि होती हैं। जहाँ पर एक राशि व नक्षत्र दोनो की समाप्ति होती है।उसे गण्ड कहते हैं। यह स्थान जीवन और स्वास्थ्य दोनों के लिए हानिप्रद होते है। पहला स्थान कर्क राशि का अंतिम भाग जहां कर्क राशि और आश्लेषा नक्षत्र समाप्त होते है। दूसरा स्थान हैं वृश्चिक राशि का अंत ।यहाँ पर ज्येष्ठा नक्षत्र और वृश्चिक राशि दोनो साथ साथ समाप्त होते हैं। तीसरा स्थान वह है जहां मीन राशि समाप्त होती है और साथ ही रेवती नक्षत्र भी समाप्त हो जाता है। जब चन्द्रमा तथा लग्न इन स्थानों पर हो जातक के जीवत रहने की आशा नही रहती हैं। क्योंकि यह स्थान नही राशि व नही नक्षत्र का होता हैं। ऐसा राज्य सरकार जिसका कोई मालिक नहीं हो उस स्थान को असुरक्षित महसूस करते हैं जिसमे चोरी व ढाका पड़ने का डर रहता हो। परन्तु आध्यामिक उन्नति के यह अच्छा स्थान हैं।
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